इश्क को जितना छुपाओ ये उतना मचलता है , ना जाने क्यूँ बार - बार हसरतों का दौर चलता है ? इश्क को जितना छुपाओ ये उतना मचलता है , ना जाने क्यूँ बार - बार हसरतों का दौर चल...
दे के समय अपना अपने पौधों को बनाए वृक्ष ताकि उनकी छाँव में रह सकें आपके अपने दे के समय अपना अपने पौधों को बनाए वृक्ष ताकि उनकी छाँव में रह सकें आपके अपने
उस आदम के पास जो शुद्ध अशुद्ध में फर्क नहीं जानता था। उस आदम के पास जो शुद्ध अशुद्ध में फर्क नहीं जानता था।
यथार्थ...। यथार्थ...।
एक विचार...। एक विचार...।
एक शाम वक्त के नाम...। एक शाम वक्त के नाम...।